गतांक से आगे, गतांक से आगे, चैवनवां अध्याय(1) कथा-प्रसंग
पतिव्रताओं के धर्म-वर्णन
ब्रह्मा जी बोले – इसके अनन्तर सप्तर्षियों ने हिमालय से फिर विदा मांगी। हिमालय पार्वती के वियोग से व्याकुल हो गये। उन्हें मूच्र्छा सी आ गयी। पश्चात् चैतन्य हो ‘तथास्तु’ कह कर वह सन्देश मैना के पास जाकर कहा। हर्ष-शोक से युक्त मैना पुत्री की विदाई की सामग्री संग्रह करने लगीं। वेद और कुल का सविधि आचार हुआ। मैना ने पार्वती को अनेकों प्रकार के रत्नाभरणों से युक्त किया। बारहों आभूषण दिया। सारा श्रृंगार किया। मैना के हृदय को जानने वाली एक ब्राह्मण की पतिव्रता स्त्री ने गिरिजा को पातिव्रत धर्म की शिक्षा दी। द्विज पत्नी ने कहा- हे पार्वति, मैं तुम्हें कुछ पतिव्रताओं के लिए ऐसे धर्म का उपदेश करती हूं जिससे उन्हें त्रिलोक का सुख प्राप्त होगा। हे देवि, तुम इसे ध्यान पूर्वक सुनो। क्रमशः